डॉ भीम राव अम्बेडकर
के आर्थिक विचार ,,,,,
भारतीय संविधान
निर्माता, दलित वर्ग उत्थान के एक सजग प्रहरी तथा सामाजिक न्याय स्थापना के प्रतिक
के रूप में जाने जाने वाले डॉ भीम राव अम्बेदकर की आर्थिक सोच भी उनके ही अनुरूप
थे.
डॉ भीम राव अम्बेडकर
अर्थशास्त्र, राजनितिकशास्त्र, एवं विधि के अछ्छे ज्ञाता होने के कारन उन्होंने
अपने आर्थिक विचार, कृषि, व्यापर, अधौगीकरण, गरीबी, बेरोजगारी, आर्थिक एवं सामाजिक
असमानता तथा मौद्रिक विषयो पर रखे है जो इस प्रकार है.
कृषि क्षेत्र- डॉ
अम्बेडकर ने भारत में कृषि क्षेत्र में दोषपूर्ण भूमि व्यवस्था को अर्थव्यवस्था के
पिछड़ेपन का कारण मानते थे. उन्होंने बताया कि सामान्तया उच्ची जाती के लोग ही कृषि
भूमि की स्वामी होती है जो जमींदार कहलाते है, माध्यम जाती बताई पर खेती करती है
जिसे किसान कहते है और नीची जाती भुमिहिन् स्रामिको के रूप में कम करती है जे कृषक
मजदूर कहते है, उनका जीवन दसो जैसा होता है. कृषि जोतो के असमान वितरण से जमींदार
एवं भूस्वामी दलितों एवं बेरोजगारों का शोषण करते है जो सामाजिक असमानता का एक बड़ा
कारण है.
कृषि का अधौगीकरण- डॉ अम्बेडकर की यह दृढ धरना थी कि चकबंदी या गुजरा
कानून से कृषि में सम्विर्धि संभव नहीं है. भूमिहिनो को सहकरोई करिसी में कोई उछित
स्थान नहीं मिलता इसी कारन वे कृषि को राज्ये के एक संगठन के रूप पर जोर देते थे.
स्थ ही साथ कृषि जोतो की चकबंदी, करिसी में बताई प्रथा का विरोध, करते रहे थे.
किसानो के हितो सम्वधित
विचार – 1938 के ज्ञापन में इसका जिक्र किया जो इस प्रकार है,
खेतिहर मजदूरो को नुनतम वेतन निश्चित किया जाये, किसान के लगान के साथ ठेके की
राशी भी माफ़ किया जाये, छोटे किसानो को सिचाई आदि में आधि रकम की छुट दी जाये,
बेगारी प्रथा को समाप्त किया जाये, आदि.
मजदूरों सम्बन्धी विचार- वे चाहते थे कि मजदूर को नुवन्तं वेतन मिले जो उन्हें
नही मिलता था, और उन्हें सामजिक शुरक्षा भी मिलना चाहिए
बैंकिंग संबंधी विचार – वे चाहते थे की बैंकिंग वयावास्था ग्रामीण इलाको तक
भी पहुचे और और सरल बनाया जाये ताकि अशिक्षित लोग भी इसका फायदा उठा सके.
निष्कर्ष के रूप में हम बस कह सकते है की डॉ अम्बेडकर दलित वर्ग से आकर
विश्व में अपनी छाप छोरे , वे एक दार्शनिक थे उन्होंने आर्थिक विकास केलिए भूमि
सुधर करने की वकालत की. वे पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के सहियोग में नहीं थे. उनका
विचार आज भी जरुरत है जहा सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक असमानता मौजूद है वे आज के
दलितों पिछ्रो और शोषित वर्गों का आर्दश है..हम उनके योगदानो को याद रखते हुए उनके
127 वे जयंती पर उन्हें नमन करते है....जय हिन्द , जय भीम..
@संजीत कुमार

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