रासटीरिये
आय
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भारत में रस्त्रिये आय की गणना सबसे पहले “दादा
भाई नौरोजी “ के द्वरा किया गया हालाँकि पुरे विश्व में “एडाम स्मिथ के स्वर किया
गया था .
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देश के रस्तिरिये आय में अर्थ्वेयाव्स्था के
तीनो क्षेत्र का योगदान है.
ü प्राथमिक क्षेत्र – इसके अन्तरगत
कृषि, मत्श्ये, पशुपालन, वन एवं खान, को रखा गया है
ü दितियेक
क्षेत्र – इसके अन्तरगत निर्माण एवं विनिर्माण को को रखा गया है
ü तिरितियक
क्षेत्र – इसके अन्तरगत बैंकिंग, परिवहन संचार, वाश्ताविक सेवा ,विदेशी
बाजार, बिमा इत्यादि को रहा गया है. इसको सेवा क्षेत्र भी कहते है
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भारत में नेशनल इनकों की गणना सी एस ओ करटी है जिसका मुख्यालय दिल्ली है .
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नेसनल इनकम अधार वर्ष पर अध्हरित होती है जो
वर्तमान में २०११-१२ है
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इसकी गणना तीन वीडियो से किया जाता है जो
निम्नलिखित है
Ø उत्पादन विधि- इस विधि में,
किसी देश की आर्थिक सीमा के अन्तरगत कुल अंतिम उत्पादन जो की १ वर्ष में होता है उसको मूल्य के रूप में गणना की जाती है . इसको हम
जी दी पि और एन एन पि द्वरा मापते है .
Ø आय आधारित विधि – इस विधि में
हम लोगो की कुल आय को मापते है, जैसे ;इनकम, व्याज, लगान, लाभ आदि के कुल मूल्य को
जोराते है.
Ø व्येय आधारित
बिधि- इस विधि में हम कुल किया गया व्याय को जोर क्र आय की गणना
करते है .
नोट :-
विकाशशील एवम अर्धविकशित देश में उत्य्पदन तथा आय विधी का इस्तमाल करते है लेकिन
विकशित देश में ज्यादातर व्याय विधि का इस्तमाल करते है .

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